जयशंकर प्रसाद आधुनिक हिंदी साहित्य के जाने माने लेखक थे जिन्होंने एक ही साथ कविता, नाटक, कहानी और उपन्यास के क्षेत्रा में अपनी कृतियाँ दी हैं। उनकी काव्य रचना ब्रजभाषा से आरंभ होकर धीरे-धीरे खड़ी बोली की ओर अग्रसर होती गई और उनकी गणना खड़ी बोली के मूर्धन्य कवियों में की जाने लगी। हिन्दी काव्य में छायावाद की स्थापना करने में उनका बहुत बड़ा योगदान है। प्रसाद जी की कहानियां भावना प्रधान, रहस्यवादी, प्रतीकात्मक एवं आदर्शोन्मुख होती हैं। उनकी लिखी 72 कहानियों में से- ‘आकाशदीप’, ‘गुण्डा’, ‘छोटा जादूगर’, ‘मधुआ’, ‘बिसाती’आदि कुछ चुनिंदा श्रेष्ठ कहानियां यहाँ आपके लिए प्रस्तुत हैं।