शरत्चंद्र चट्टोपाध्याय बंगाल साहित्य जगत के एक सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनकी अधिकतर रचनाओं को हिंदी में व्यापक रूप से अनुवाद किया गया है। उनका जन्म 15 सितंबर 1876 को हुगली जिले के देवानंदपुर में हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का शरत्चंद्र के जीवन पर अत्यंत गहरा प्रभाव पड़ा। प्रस्तुत उपन्यास ‘पथ के दावेदार’ अपूर्व, भारती एवं सब्यसाची की कहानी है। जिसमें अपूर्व का सामना विदेश यात्रा के दौरान भूमिगत संगठन से होता है जिसका नेता सब्यसाची है एवं उनका लक्ष्य भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराना है। अपूर्व, भारती एवं सब्यसाची का अस्पृश्यता, रूढ़िवाद और स्वतंत्रता की अव्यवस्थता के लिए संघर्ष इस उपन्यास को और भी मर्मस्पर्शी बनाता है।