मुंशी प्रेमचंद का नाम धनपत राय था। मुंशी जी का जन्म 31 जुलाई सन् 1880 को बनारस के पास लमही नामक गांव में हुआ था। उन्होंने मध्यम वर्गीय परिवार में जन्म लेने के कारण अभाव और असुविधाओं के बीच जन-जीवन को बहुत ही गहराई से देखा और अपना जीवन साहित्य के प्रति समर्पित कर दिया। उन्हें एक महान उपन्यासकार, कथाकार और बहुत सी उपाधियों से सम्मानित किया गया। 8 अक्टूबर सन् 1936 को मुंशी जी का बीमारी के कारण निधन हो गया। इस उपन्यास में कर्म तथा अधिकार की प्रधानता पर जोर दिया गया है। स्त्री की विवशता और दुर्दशा को भी उजागर किया गया है। एक ओर जहाँ नौकरशाह अपनी सत्ता के मद में चूर होकर गरीब जनता पर अत्याचार करते हैं ; वहीं दूसरी ओर सत्य, निष्ठा और अहिंसा को समाज के एक दबे-कुचले व्यक्ति द्वारा मजबूती प्रदान की है। यह उपन्यास ‘रंगभूमि’ परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़े हुए भारत की सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक समस्याओं से परिपूर्ण है।