PUBLISHER – Rajpal and Sons
AUTHOR – Rangey Raghav
CLASSIFICATION – Fiction Literary
ISBN NO. – 9789350640357
LANGUAGE – Hindi
PAGES – 440
PUBLISHED DATE – 2022
BINDING – Paperback
CONDITION – New
रांगेय राघव हिन्दी साहित्य के प्रतिभाशाली लेखकों में से एक हैं, जिन्होंने विभिन्न लेखन शैलियों में अपनी कला को प्रदर्शित किया है। उन्होंने कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास, आलोचना, और इतिहास के विभिन्न पहलुओं पर अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथों का लेखन किया है। उनकी लेखनी संवादपूर्ण और सुसंगत होने के साथ-साथ सामाजिक और व्यक्तिगत मुद्दों को भी गहराई से छूने की क्षमता रखती है।
"कब तक पुकारूं" उनकी प्रतिभा और लेखन-क्षमता की एक उदाहरणात्मक रचना है। इस काव्यनाटक में, वे उस समय के समाज में उपेक्षित और असहाय वर्ग के जीवन को बेहद सरलता और प्रसादनीयता से प्रस्तुत करते हैं, जिसे समाज नाट या करनट कहकर पुकारता है। इस उपन्यासिका अद्वितीय विचारधारा और शैली के साथ उन्होंने उस समय की सामाजिक तथा मानसिकता को अद्वितीय दृष्टिकोण से दर्शाया है।
"कब तक पुकारूं" को हिन्दी साहित्य की महत्वपूर्ण रचनाओं में से एक माना जाता है, जिसके माध्यम से रांगेय राघव ने समाजिक समस्याओं को उजागर करने का प्रयास किया। उनकी सामग्री-भरपूर लेखनी और गहराई से सोची गई विचारधारा पाठकों के दिलों में सम्मोहित करती है और उन्हें समाज की समस्याओं के प्रति जागरूक करती है।